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ग़ज़ल
फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना
अजल क्या है ख़ुमार-ए-बादा-ए-हस्ती उतर जाना
चकबस्त ब्रिज नारायण
ग़ज़ल
मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे
मैं और तो क्या कोसूँ पर तुम से ख़ुदा समझे
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
ये कैसे बाल खोले आए क्यूँ सूरत बनी ग़म की
तुम्हारे दुश्मनों को क्या पड़ी थी मेरे मातम की
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
ग़ज़ल
दिल-ए-नालाँ तिरी आहों में असर है कि नहीं
बे-क़रारी जो इधर है वो उधर है कि नहीं
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
ग़ज़ल
रखो वो शेवा न मद्द-ए-नज़र नज़र में रहे
कि जिस से राज़-ए-मोहब्बत बशर बशर में रहे
क़ुर्बान अली सालिक बेग
ग़ज़ल
बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का
अनासिर के मुरक़्क़े में भरा है नक़्श दौलत का
इमदाद अली बहर
ग़ज़ल
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
क्या फल लगा है नख़्ल-ए-तमन्ना-ए-यार में
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
मोहब्बत क़त्अ की तुम ने वो कोसों उड़ गया तुम से
दिल अपना रिश्ता-ए-उल्फ़त का था ऐ गुल-रुख़ाँ बाँधा
करामत अली शहीदी
ग़ज़ल
रहे मेरी तरफ़ से ख़ून क्यों क़ातिल की गर्दन पर
वो बिस्मिल हूँ कि आने दी न मैं ने छींट दामन पर
सफ़दर मिर्ज़ापुरी
ग़ज़ल
बन के किस शान से बैठा सर-ए-मिंबर वाइ'ज़
नख़वत-ओ-उज्ब हयूला है तो पैकर वाइ'ज़